ज्ञान व्यक्ति को शीलवान, शिष्ट और विनम्र बनाता है। हनुमान प्रसाद धानुका एक जाग्रत विद्धयालय है जिसकी स्थापना विद्धयाभारती के लक्ष्य को सामने रखकर 25 वर्ष पूर्व हुई थी। इसके प्रबन्ध तन्त्र व आचार्य/आचार्या मंडल ने अथक प्रयास,तप और ऊर्जा से इसे प्रतिष्ठित किया है।1996 का यह प्रज्ज्वलित अखण्ड दीप है जिसका प्रकाश छात्राओं द्वारा प्राप्त उपलब्धियाँ हैं। यहाँ पूरा प्रयास रहता है कि छात्राओं के शरीर, मन व अन्तःकरण को स्वस्थ-समुन्नत बनाने के लिए अनुकूल वातावरण व मार्गदर्शन प्रदान किया जाये। शिक्षा भी एक प्रकार से बीज बोने की प्रक्रिया है, यह बीज हैं ज्ञान के,संस्कार के और संस्कृति के। इनको अंकुरित करना है पोषित-पल्लवित करना है। जीवन मूल्यों, संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करना,राष्ट्र के प्रति प्रेम को स्थापित करना ही विद्धयालय का एकमात्र लक्ष्य है। शिक्षा द्वारा विद्धयार्थिओं की कार्यक्षमता को बढ़ाया जाता रहा है। यह आशा रखते हुऐ कि वह अपनी शिक्षा का लाभ अन्य लोगों को दें। जितना प्राप्त हुआ है उसका दस गुना समाज को लौटायें। योग-प्राणायाम, शैक्षिक भ्रमण,ग्राम्य दर्शन, वैदिक गणित, विज्ञान, बौद्धिक एवं शारीरिक प्रतियोगिताओं और शिविरों में छात्राएँ भागीदारी कर अन्तर्निहित क्षमताओं का विकास करती रही हैं। विद्धयालय का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा है, सभी विषयों में विशिष्ट योग्यता लेकर छात्राएँ अलंकृत हुँई हैं। समाज की आशाओं के अनुरुप यह विद्धयालय प्रगति पथ पर अग्रसरित है।